सितारे आज, गुमसुम गुमसुम हैं
फलक से गायब, सारे तरन्नुम हैं
न चांद का जलवा है, न चांदनी असरदार है
नज़ारे कुदरत के,न जाने कहां गुम हैं
आंखों का नूर, कहीं खोया खोया है
होंठों से उठकर, नदारत तबस्सुम हैं
कुछ शिकवे हैं, कुछ-कुछ नाराजगी है
पुरनम पलकों से, झांकते अंजुम हैं।
सर्वाधिकार अधीन है