कविता - हे सैनिक जवान....
हे सैनिक जवान
तुम हाे महान
हम लाेग मस्त हाे रहे हाेते
रात काे अाराम से साे रहे हाेते
तब तुम सुरक्षा अपने शर ले रहे हाेते
कभी हाेते देश के लिए कुर्बान
हे सैनिक जवान
तुम हाे महान
दूसराें के घर में जैसे
तुमारे घर में भी वैसे
कभी दिपावली कभी रमजान अाती हाेगी
तुम्हें परिवार की याद सताती हाेगी
फिर भी देश के लिए दते ध्यान
हे सैनिक जवान
तुम हाे महान
कभी लद्धाख कभी ग्लेशियर में जाते
जितनी भी ठन्ड हाे बखुबी काम निभाते
सर्दी बहुत तुमकाे लगती हाेगी
रुह तुमारी भी ताे कांपती हाेगी
फिर भी डटे रहते सीना तान
हे सैनिक जवान
तुम हाे महान
कभी पहाड कभी हिमाल चलते
कभी फिर सर्च करने निकलते
उस बखत खाना खाते भी हाे या भूखे रहते
जैसे भी हाे हालात कुछ भी नहीं कहते
इस देश की हाे शान
हे सैनिक जवान
तुम हाे महान
जब दुश्मन कु-द्रीष्टी रखता है
गाेला-बारुद हमारी सीमा पर फेंकता है
तब तुम इसका बदला लेते
कडी से कडी टक्कर उसे देते
फिर दुश्मन की जाती जान
हे सैनिक जवान
तुम हाे महान
तुम हाे महान......