( कविता ) ( गांव )
गांव में खेत
खलियान हैं
शहर में भवन
बिल्डिंग आलीशान हैं
शहर में हर तरफ
भीड़भाड़ है
कहीं कहीं जमा
कचरे का कवाड़ है
गांव में न तो
भीड़भाड़ है
नहीं तो कहीं
कचरे का कवाड़ है
शहर में धूल और धुवां से
वातावरण दूषित है
जा कर देखो... गांव
धूल और धुवां रहित है
कितना अच्छा हमारा
देश का गांव है
कहीं नीम का तो कहीं
बरगत का छांव है
गांव में भी विकाश
करें वहां भी होगी सुविधा
गांव भी हमारा है
वहां रहने में क्या है हमें दुविधा ?
गांव भी हमारा है
वहां रहने में क्या है हमें दुविधा.......?