मेरे बाद ना मेरी मोहब्बत होगी,
फिर ना तुमसे होगी,
अकेले भी ना होंगे,
सिर्फ यादों में कहीं एक आधा नज़र आएंगे,
याद करोगे,
सिर्फ इतना ही तो करोगे,
फिर हम हैं ही नहीं,
मिलना हैं नहीं,
आज ही जी रहे हैं,
आकर देख लो,
अतीत ही क्यों निभाना,
आज के सिवा,
मिलने का ना कोई ज़माना है,
क्यों यादों में ही उलझा दिए हो,
क्यों बातों को रहने दिया,
क्यों रहने दिया मुझे अकेला,
क्यों रहने दिया चलने ना दिया,
इंतजार ही आराम करने लगा है,
वक्त भी अपने हिस्से का काम करने लगा है,
मैं नहीं मेरी राख भी ना मिलेगी,
मेरी आँख को देखों,
ज़माने में ऐसी नज़र ना मिलेगी।।
- ललित दाधीच।।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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