कापीराइट मुक्तक
यूं मेरी उमर न देखो
मेरे हौसलों को देखो
जो बेताब हैं छूने को
बुलंदियां आसमां की (1)
जिनको आदत है रोज
तूफानों से टकराने की
ये मामूली हवा के झौंके
अब क्या करेंगे उनका (2)
जब-जब भी, लड़े हम
शत्रु से हारे नहीं कभी
मैं हर वो जंग हार गया
जहां पे अपने थे सामने (3)
मेरी कोशिशों को इतना
कमतर न समझो यारो
अभी दम है जिन्दगी में
बहुत सैलाब, लाने का। (4)
ये कहना मुनासिब नहीं
कि अब यहां कौन हूं मैं
तेरे शहर में फिरता हूं मैं
एक शायर का दिल लेकर (5)
मेरे इश्क, की किताब में
एक हंसी गुलाब सोया है
फना हो कर, भी कब से
यह तेरी यादों में सोया है (6)
जब भी हम को ऐसे
रूलाया है जिन्दगी ने
यूं हर बार कुछ नया
सिखाया है जिन्दगी ने। (7)
जब, फासलों से दिल
लगाना सीख जाओगे
जमाने के साथ नजरें
मिलाना सीख जाओगे (8)
लम्बा है सफर तुम
दोस्त बनाते रहना
दिल मिले न मिले
हाथ मिलाते रहना (9)
माना, कि तेरे हुस्न के
सब तलबगार बहुत हैं
तू, पीछे मुड़ कर, देख
यहां, खरीदार बहुत हैं। (10)
- लेखराम यादव
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




