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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चुनिन्दा शेर-ओ-शायरी

कापीराइट मुक्तक

यूं मेरी उमर न देखो
मेरे हौसलों को देखो
जो बेताब हैं छूने को
बुलंदियां आसमां की (1)


जिनको आदत है रोज
तूफानों से टकराने की
ये मामूली हवा के झौंके
अब क्या करेंगे उनका (2)


जब-जब भी, लड़े हम
शत्रु से हारे नहीं कभी
मैं हर वो जंग हार गया
जहां पे अपने थे सामने (3)


मेरी कोशिशों को इतना
कमतर न समझो यारो
अभी दम है जिन्दगी में
बहुत सैलाब, लाने का। (4)


ये कहना मुनासिब नहीं
कि अब यहां कौन हूं मैं
तेरे शहर में फिरता हूं मैं
एक शायर का दिल लेकर (5)


मेरे इश्क, की किताब में
एक हंसी गुलाब सोया है
फना हो कर, भी कब से
यह तेरी यादों में सोया है (6)


जब भी हम को ऐसे
रूलाया है जिन्दगी ने
यूं हर बार कुछ नया
सिखाया है जिन्दगी ने। (7)


जब, फासलों से दिल
लगाना सीख जाओगे
जमाने के साथ नजरें
मिलाना सीख जाओगे (8)


लम्बा है सफर तुम
दोस्त बनाते रहना
दिल मिले न मिले
हाथ मिलाते रहना (9)



माना, कि तेरे हुस्न के
सब तलबगार बहुत हैं
तू, पीछे मुड़ कर, देख
यहां, खरीदार बहुत हैं। (10)

- लेखराम यादव


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

ताज मोहम्मद said

माना, कि तेरे हुस्न के सब तलबगार बहुत हैं तू, पीछे मुड़ कर, देख यहां, खरीदार बहुत हैं। भाई जी कमाल का लिखा, मज़ा आ गया। बहुत ही उम्दा सारा का सारा खजाना है। बेमिसाल शानदार।

Lekhram Yadav replied

सुप्रभात ताज भाई। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut umda yadav Sir, kamaal kar diya aapne. Pranam sweekar karein🙏🙏

Lekhram Yadav replied

सर आपका प्रणाम सिर आखों पर। इतनी तारीफ के लिए धन्यवाद सहित सादर प्रणाम स्वीकार कीजिए ।

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