जब-जब भारत की बात चली तब मन में एक चिंता आई,
सोने की चिड़िया आज मुझे मन की व्यथा भी कह न पाई,
संघर्षों का इतिहास रहा... पन्ना का बलिदान रहा,
.....फ़िर जाकर महराणा ने मुगलो पर विजय पाई,
मंदिर तोड़े कत्लेआम हुआ चप्पा चप्पा भी वीरान हुआ,
.....इज्जत की बोली लगी बाज़ारों में,
संघर्षों का इतिहास अमर ... भारतीय कहाने पर जिसे आती शर्म,
आजादी को तुम भूल गए....वो फंसी पर फिर भी झूल गए,
इनती आसानी ने नई पाई गई...बलिदानो पर चल कर आई है,
................बलिदानो पर चल कर आई है....................
बलिदानों से हमें आज़ादी मिली है
.... कृपा राष्ट्र निर्माण के लिए काम करें..जय हिंद
सर्वाधिकार अधीन है