इश्क जिंदा रहा जिस्म को तड़पना प़डा।
जिसने जितना छोड़ा उतना छोड़ना प़डा।।
दिल के शहर में आयोजित कार्यक्रम रद्द।
वक्त के हिसाब से हँसना भी छोड़ना प़डा।।
कुछ लोग इश्क में नादान बहुत देखे गए।
हम भी वही घर से निकलना छोड़ना प़डा।।
घायल है दिल जीते जी इश्क में 'उपदेश'।
जिससे होने की खबर लेना छोड़ना प़डा।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद