साल में एक दिन हिंदी दिवस मनाते हैं,
और उसे अपने देश की गरिमा से जोड़ देते हैं।
पर आज किसी भी घर में वह सम्मान नहीं रहा,
जो कभी हिंदी भाषा का हुआ करता था।
मातृभाषा के बाद जो स्थान हिंदी का होना चाहिए था,
आज वही स्थान इंग्लिश ले लिया है।
कोई भी भाषा सीखना कभी गलत नहीं होता,
ग़लत है देश के गौरव को ताज मानने में शर्मिंदगी महसूस करना।
देश की जड़ों को खोखला करना ही गलत है ,
अपनी धरोहर को न सँभालना ही सबसे बड़ी भूल है।
हिंदी दिवस तभी मनाना चाहिए,
जब हर जगह बोलते हुए उस पर गर्व होगा ।
वन्दना सूद
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