बेचना चाहता बहुत कुछ अपना कहकर।
संगत सही न मिल सकी हवा में बहकर।।
आमदनी से ज्यादा खर्च मुकम्मल भूल है।
जाने क्या क्या चाहता वह सपना कहकर।।
गर्म रखेगा कब तलक रिश्ता किराये का।
भूगोल बदलेगा 'उपदेश' जमाना कहकर।।
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भूगोल बदलेगा 'उपदेश' जमाना कहकर।।