हौसले जब बुलंद हो जातें हैं
रोने धोने भाग्य पर,बंद हो जातें हैं
राही संघर्ष के,जब बन जाए हमसफ़र
कामयाबी तस्वीरें, नजरबंद हो जातें हैं
इंक्लाबी नक्शे कदम,सपन हों जीश्त में
लम्हों की हुई की गति,मंद हो जातें हैं
लकीरें किस्मत की, बदलने का जज्बा हो
विधाता भी बेबस, चिरानंद हो जातें हैं
इरादे उड़ने के हों,तूफानी आसमान में
डाल के पंछी भी, स्वच्छंद हो जातें हैं
मां भी इठलाती है, क़िस्मत पर अपनी
जब बेटे होनहार, कुलचंद हो जातें हैं
बूंदों से धारा, धाराओं से नदियां
नदियों के जोल से,जल समंद हो जातें हैं।।
सर्वाधिकार अधीन है