बेबसी अपनी कह नहीं पाते।
बिन तुम्हारे भी रह नहीं पाते।
दिल में रहते हैं दर्द के मानिंद,
मेरे आंसू, जो बह नहीं पाते।
कुछ तो कहना वो चाहते हैं मगर,
जाने क्यूं हमसे कह नहीं पाते।
अब तो ख़्वाबों में ही चले आओ,
फ़ासला हम ये सह नहीं पाते।
डाॅ ○फ़ौज़िया नसीम शाद