हर रोज निकलते घर से फिर बापिस आते।
न पाकर तुमको कहीं पर अफसोस जताते।।
मेरी खुद्दारी ने ही कल मुझको सजा सुनाई।
उसके हिसाब से दीदार के लिए पास जाते।।
इन सांसो पर भरोसा और कितने दिन करे।
जैसे दिन गुजरता 'उपदेश' एहसास बढाते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद