कविता : मेरा द्वार....
रिश्ता तोड़ कर जाना
है तो जाओ प्रिय
मैं तो मरने को तैयार
तुम्हारे लिए
मगर कभी
तुम्हें दुख हो
बिल्कुल भी न
तुम को सुख हो
तब तो तुम मेरे
पास आना यार
तुम्हारे लिए हमेशा
खुला है मेरा द्वार
तुम्हारे लिए हमेशा
खुला है मेरा द्वार.......