रहें ना रहें इस गुलिस्तां में
पर शब्दों के गुल सदा रहेगें
हमारे कीमती मीम दुनियां की
किताबों को सजाते रहेगें ...
महफिलों में जगमगातें रहेगें।
ये शब्दों के फूल बरबस हीं
पनपते रहते हैं।
खुशबू बिखेर कर अपने अंदाजों बयां से
सबको खुशियां देते रहेंगे।
ये जीवन भी तो शब्दों की माला है
सात अक्षरों से सज धज कर
गुलज़ार ध्वनि पाठशाला है।
कुछ तो नया करो जीवन में
वरना सिर्फ़ क्या तुम्हारा आना
जाना हीं है।
क्या तुम्हारा आना
बस आना जाना हीं है..
ये सोंचना ज़रूर
क्या समझे हुज़ूर
बस आना जाना
जारी है बदस्तूर..
बस आना जाना ज़ारी है
बदस्तूर.....
या कुछ करोगे नया ज़रूर
क्या समझे हुज़ूर...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




