धूप और छाँव
डॉ. एच सी विपिन कुमार जैन "विख्यात"
जीवन धूप और छाँव का खेल है,
कभी सुख की गर्मी, कभी दुःख की ठंड।
जो इन दोनों को, एक समान समझे,
वही तो जीवन में, संतुलन बनाए।
न सुख में ज्यादा हंसो, न दुःख में ज्यादा रोओ,
क्योंकि दोनों ही, जीवन के हिस्से हैं।
जो इस संतुलन को समझता है,
वही तो जीवन में, शांति पाता है।