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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

चींटियो में पंख की आई बहार.. - वेदव्यास मिश्र

चींटियों में पंख की आई बहार,
छिपकलियों की लगी कतार ।
भैंस रही अपनी जगह पगुराय हो..
जीवन की है यही बयार !!

साँझ के पहले छिपकली,
छिप के जो सोय रही !!
देखा अभी-अभी तो ,
झूम के नाच रही।
शादियों के बैंड हैं बज रहे
अपनी जगह..
कर रहे सारे छिपकली,
चींटियों के शिकार !!

पत्ते झड़ते हैं मिट्टी में,
सड़ते हैं !!
उसी मिट्टी से जीव,
और बीज निकलते हैं !!
गइया गोबर करके,
खाद है जग में बना रही..
दुनिया में सब कर रहे,
आहार-विहार !!

----वेदव्यास मिश्र


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

प्रणाम श्रीमान - शब्दों का अकाल पड़ जाने के कारण निशब्द हूँ

वेदव्यास मिश्र said

हृदयप्रिय अशोक जी, सुप्रभात नमन हृदयाशीष !! मैं आपकी भावनायें पूरी तरह समझ पा रहा हूँ !! सचमुच कभी-कभी हमारे कलम नि:शब्द हो जाते हैं जब हम सच के बहुत ही ज्यादा करीब पहुँचने लगते हैं !! मेरे साथ भी यही होता है !! कल जब मैं आपके स्वान वाली कविता पढ़ रहा था तब लगा कि एक रचनाकार अत्यंत ही सम्वेदनशील होता है मगर एक बात है जो लगभग-लगभग सत्य है कि वह बहुत सारी अशुद्धियों से मुक्त एक खरे सोने की तरह होता है। ..उसका सही वेल्यू समदर्शी ही समझ सकता है !! दोस्त, बाकी बातें फैर कभी ..अभी इस बाग में कविता वाली एक और नई तितली आई है ..मिलते हैं . थोड़ी गप्पे लड़ाते हैं..कौन जाने कुछ नया दिख जाये..कुछ नया सुझ जाये !! आइये..स्वागत है आपका भी !! 🙏🙏💖💖🙏🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' replied

पिछले २-३ दिन व्यस्तता रहने के कारण से ध्यान नहीं दे पाया! लेकिन महोदय मनुष्य का व्यक्तित्व आईने की तरह होता है - आपकी समीक्षाओं में बहुत प्रेम और सम्मान मिला लेकिन में मानता हूँ कि जैसा आपका हृदय होता है भावनाएं भी वैसी ही होती हैं - आपकी शैली, कला, क्षमता, कौशल अतुल्य हैं उसके बावजूद आपने मुझ अज्ञानी के लिए इतना प्रेम बरसाया - यह व्यक्त करता है कि बड़प्पन हर तरह से आपका है तज़ुर्बे में भी और उम्र में भी - आपके (बड़ों के) स्नेह और आशीर्वाद की दैन है कि छोटे लोग भी उनकी सांगत में आने लगते हैं - प्रेम और आशीर्वाद बनाये रखें - कोटि कोटि प्रणाम

Chitranshi Saraswat said

Such a nice poem sir

वेदव्यास मिश्र said

अशोक कुमार पचौरी " आद्र " जी, प्रेम नमन 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

Chitranshi Saraswat जी, सादर सप्रेम आभार नमन 🙏🙏

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