चींटियों में पंख की आई बहार,
छिपकलियों की लगी कतार ।
भैंस रही अपनी जगह पगुराय हो..
जीवन की है यही बयार !!
साँझ के पहले छिपकली,
छिप के जो सोय रही !!
देखा अभी-अभी तो ,
झूम के नाच रही।
शादियों के बैंड हैं बज रहे
अपनी जगह..
कर रहे सारे छिपकली,
चींटियों के शिकार !!
पत्ते झड़ते हैं मिट्टी में,
सड़ते हैं !!
उसी मिट्टी से जीव,
और बीज निकलते हैं !!
गइया गोबर करके,
खाद है जग में बना रही..
दुनिया में सब कर रहे,
आहार-विहार !!
----वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




