लिख लिख कर मिटाया
तेरा नाम अपने दिल से
पर मिटा न पाया तेरा नाम
इस दिल से।
जब जब आई तू याद
हर बार छुपाया
दुनियां से तुझको।
ये डर था
या थी तेरी चाहत
हर आरजू को दबाया
दिल मे..
लिख लिख कर मिटाया
तेरा नाम इस दिल से..
तमन्नाओं की बरसात से
खुद को बचाया
हर आह को दिल में हीं रक्खा
कहीं बदनाम ना हो जाए
मोहब्बत मेरा
इसलिए तेरा नाम
छुपाया सबसे।
पर क्या करू
इस दिल ने सिर्फ और सिर्फ़
चाहा तुझको।
कोशीशें की तमाम तुझे
भूलने की पर..
पर खुद को भी ना बचा
पाया तुझसे ..
सिर्फ़ दिल लगाया तुझसे
चाह कर भी ना दूर
ना जा पाया तुझसे...
चाह कर भी ना दूर
ना जा पाया तुझसे...