भ्रष्टाचारी तीन, दौलत कमा रहे हैं।
झूठी शान दिखाकर, नाम डुबा रहे हैं।
अंकी लाल अंक, सबूतों को मिटा रहा है।
डंकी लाल डंक, खातों को जला रहा है।
इंकी रानी इंक, जाल बिछा रहा है।
काकी ताई ने, तो कमाल कर दिया।
भरे हुए बक्से को,ले जाकर धमाल कर दिया।
आदेश ऐसा आया, जान पै बन आई है।
बाज के एक झप्पटे में, चांडाल चौकड़ी आई है।
कस रहा है शिकंजा,कर दिया है गंजा।
मुंह काला करके, गधे पै बारात आई है।