एक दिन खाली बैठे खुली आँखों से ख्याली पुलाव बुनते रहे
कि हम ऐसा कर सकते हैं,वैसा कर देंगे,ऐसा बोलेंगे ,वैसा बोलेंगे
कुछ दिन बाद रात के सपने ने खुली आँखों के सपने की हकीकत दिखाई
तो सपने में ही रूह काँप गई
ऐसी फिरकी ली हमारी
कि समझ आ गया कुछ नहीं रखा परचर्चा में
इससे न आत्म आनन्द मिलेगा और न ही परमानन्द..😂
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







