पौधें जिंदा वहीँ रहते, जिस के आस-पास पानी हो।
मोहब्बत दम तोड़ देती जिसकी दूरी की कहानी हो।।
बाढ़ का खतरा लगा रहता कमजोर किनारे जिसके।
तमाँचा सैलाब का जब पडा तब घर घर में पानी हो।।
आँख से आँसू निकल जाते मन हल्का करने के लिए।
खुदा ने नेक सूरत बख्शी 'उपदेश' हँसी जिंदगानी हो।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद