नजर से नजर मिली कुछ पल ठहर गई।
जैसे गहरे समुन्दर में ख्वाहिशे तैर गई।।
अब कैसे जायेंगी यादे दिल कितना सोना।
बहुत कुछ सोचते हुए मतवाली पहर गई।।
रुत मतवाली रात अनोखी चाँद नशीला।
वक्त कट गया एक आई दूसरी लहर गई।।
जी मचल रहा मुस्कुराते हुए लिखते वक्त।
एकान्त में ख्याल 'उपदेश' आँख भर गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद