सत्य की पहचान होती है जरूर
हर सुबह की शाम होती है जरूर
बीच में जब अर्थ आ जाता है तो
दोस्ती नाकाम होती है जरूर
क्या करें सब खेल है तकदीर का
हर कली बदनाम होती है जरूर
प्यार से जब चूमता हूं उसके गाल
तो बहन कुर्बान होती है जरूर
मिल गई जो भी समंदर के गले
वो नदी गुमनाम होती है जरूर
दास कमरों में कभी पलती नहीं है
जिन्दगी कुछ आम होती है जरूर II
यही रचना पूर्व में अमर उजाला वेब पर भी आ चुकी है
शिव चरण दास

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




