ज़मीन और आसमान के बीच,
जहां उड़ती है ।
आशा की चिड़िया ,
वहां नारी है।
एक शक्ति,
एक ताकत।
एक अनमोल निधि,
कभी माँ का रूप धारण कर।
कभी बेटी का,
कभी पत्नी का।
हर रिश्ते में निभाती है ,
अपना फर्ज़।
बिना किसी शिकायत के,
कभी घर की देवी।
कभी समाज की सेविका ,
हर मोड़ पर देती है सहयोग।
बिना किसी झिझक के,
कभी खेती करती है।
कभी घर संभालती है ,
कभी बच्चे पालती है।
कभी कभी,
दुनिया भी बदलती है।