तन मन वचन सभी में संयम.
पालनीय़ हो सदा यम-नियम..
साधु संत की संस्कृति जागे.
चले सुमन उर आगे - आगे..
भावों में हो सहज मधुरता.
दया दृष्टि से बने सभ्यता..
क्रूर वृष्टि को होने दो मत.
मानवता पर हो मस्तक नत..
शुद्ध आचरण विस्तारण हो.
पावन मन का संचारण हो..
दोषमुक्त जब मानस होगा.
प्रेमयुक्त ज़नमानस होगा.
दानवीय कुंठा को मारो.
गंदी चित्त वृत्ति को जारो..
मन- तड़ाग में कमल खिले अब.
सत्य अहिंसक गांव दिखे तब
----डॉ रामबली मिश्र