झूठों ने कसम खाई, सच बोलेंगे।
फायदा जिधर है, उधर बोलेंगे।
गीता पर हाथ रखकर, कुछ यूं बोलेंगे।
हजम नहीं हो रहा, तो गोली खाकर बोलेंगे।
गंदी नाली के, रैंगते हुए कीड़े है ये।
आदत है , ऊपरी कमाई की,
पीकर होते टुन्न, कुछ तो बोलेंगे।
खाकर सरकारी अनुदान, शुल्क भी
कर दिए सरकारी खाते साफ,
चोरों के सरदार आज बोलेंगे।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




