(बाल कविता)
नटखट बच्चा
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उल्टे-सीधे करता काम ।
नटखट बच्चा गोलू राम ।।
छप-छप-छप पानी से खेले
सब पर भारी पड़े अकेले
तकिया जल में रोज भिगोए
साबुन लगा लगा कर धोए
नोटों को बोए क्यारी में
पानी भी डाले बारी मे
मोबाइल मिट्टी में गाड़े
खाद पांस भी उसमें डाले
शीश नवा कर करे प्रार्थना
पेड़ उगा दे हे घनश्याम ।
नटखट बच्चा गोलू राम ।।
कॉकरोच को घर में लाए
साइकिल पर रख उसे घुमाए
रोटी चावल दाल खिलाए
बिल के पास छोड़ने जाए
कान पकड़ चूहे को खींचे
बिल्ली की आँखों को मीचे
कुत्ते के मुँह को फैलाए
गिनकर कितने दाँत बताए
छिपकलियों की पूँछ पकड़ कर
पूछा करता अक्सर नाम ।
नटखट बच्चा गोलू राम ।।
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~राम नरेश 'उज्ज्वल'