आईने से न करना तू ,
नफ़रत कभी आईने से !!
बोलता है ये सच,
और दिखाता है सच !!
जो भी ऐसे मिले,
तू लगाना ज़रा..
सीने से !!
सच की पहचान है,
डींगें हाँकता नहीं !!
है कमी इनकी बस,
झूठ बोलते नहीं !!
दूर जाना न ऐसे,
लोगों से.. !!
तू लगाना उन्हें,
सीने से !!
कह गये हैं कबीरा भी,
ये ही !!
जो मिले निन्दा वाले,
कभी भी !!
इक बनाके कुटी,
उनको रखना !!
कुछ तो सीखो,
ऐसे लोगों से .. !!
बचके रहिये,
झूठे लोगों से !!
- वेदव्यास मिश्र की नई💖कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है