सर्वेश्वर दयाल सक्सेना (15 सितंबर 1927 - २३ सितंबर 1983 (बस्ती)[उत्तर प्रदेश] हिन्दी कवि एवं साहित्यकार थे। जब उन्होंने दिनमान का कार्यभार संभाला तब समकालीन पत्रकारिता के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को समझा और सामाजिक चेतना जगाने में अपना अनुकरणीय योगदान दिया। सर्वेश्वर मानते थे कि जिस देश के पास समृद्ध बाल साहित्य नहीं है, उसका भविष्य उज्ज्वल नहीं रह सकता। सर्वेश्वर की यह अग्रगामी सोच उन्हें एक बाल पत्रिका के सम्पादक के नाते प्रतिष्ठित और सम्मानित करती है।
जन्म : 15 सितंबर 1927 को बस्ती में विश्वेश्वर दयाल के घर।
शिक्षा : इलाहाबाद से उन्होंने बीए और सन १९४९ में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की।
कविता संग्रह : खूँटियों पर टँगे लोग
कार्यक्षेत्र : १९४९ में प्रयाग में उन्हें एजी आफिस में प्रमुख डिस्पैचर के पद पर कार्य मिल गया। यहाँ वे १९५५ तक रहे।
तत्पश्चात आल इंडिया रेडियो के सहायक संपादक (हिंदी समाचार विभाग) पद पर उनकी नियुक्ति हो गई। इस पद पर वे दिल्ली में वे १९६० तक रहे।
सन १९६० के बाद वे दिल्ली से लखनऊ रेडियो स्टेशन आ गए। १९६४ में लखनऊ रेडियो की नौकरी के बाद वे कुछ समय भोपाल एवं रेडियो में भी कार्यरत रहे।
सन १९६४ में जब दिनमान पत्रिका का प्रकाशन आरंभ हुआ तो वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' के आग्रह पर वे पद से त्यागपत्र देकर दिल्ली आ गए और दिनमान से जुड़ गए। १९८२ में प्रमुख बाल पत्रिका पराग के सम्पादक बने। नवंबर १९८२ में पराग का संपादन संभालने के बाद वे मृत्युपर्यन्त उससे जुड़े रहे।
निधन : २३ सितंबर 1983 को नई दिल्ली में उनका निधन हो गया।
सर्वेश्वर का रचना संसार :-
काव्य :
1. तीसरा सप्तक – सं. अज्ञेय, 1959
2. काठ की घंटियां – 1959
3. बांस का पुल – 1963
4. एक सूनी नाव – 1966
5. गर्म हवाएं – 1966
6. कुआनो नदी – 1973
7. जंगल का दर्द – 1976
8. खूंटियों पर टंगे लोग – 1982
9. क्या कह कर पुकारूं – प्रेम कविताएं
10. कविताएं (1)
11. कविताएं (2)
12. कोई मेरे साथ चले
13. मेघ आए
14 . काला कोयल
15. अँधेरे का मुसाफ़िर
16. अंत में
17. प्रार्थना
18. अक्सर एक व्यथा
19. अजनबी देश है यह
20. आए महंत वसंत
21. आज पहली बार
22. आश्रय
23. ईश्वर
24. उठ मेरी बेटी सुबह हो गई
25. एक छोटी सी मुलाकात
26. एक सूनी नाव
27. कितना अच्छा होता है
28. कितना चौड़ा पाट नदी का ...
29. कुमार गन्धर्व का गायन सुनते हुए
30. कूद पड़ी हंजूरी कुएँ में
31. कोई मेरे साथ चले
32. खाली समय में
33. घन्त मन्त दुई कौड़ी पावा
34. चाँदनी की पाँच परतें
35. चमक
36. चलो घूम आयें
37. चिड़िया
38. जड़ें
39. जब भी
40. जब-जब सिर उठाया
41. जाड़े की धूप
42. तुमसे अलग होकर
43. तुम्हारा मौन
44. तुम्हारे लिए
45. तुम्हारे साथ रहकर
46. दिवंगत पिता के प्रति
47. देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता
48. देह का संगीत
49. नए साल की शुभकामनाएं !
50. पहाड़
51. पाँच नगर : प्रतीक
52. पाठशाला खुला दो महाराज
53. पिछड़ा आदमी
54. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
55. प्यार
56. प्यार:एक छाता
57. फसल
58. भेड़िए की आंखें सुर्ख हैं
59. माँ की याद
60. मुक्ति की आकांक्षा
61. रंग तरबूजे का
62. रात में वर्षा
63. रिश्ते
64. रिश्ते की खोज
65. लड़ाई जारी है
66. लीक पर वे चलें
67. लोहिया के न रहने पर
68. वसंत
69. विवशता
70. व्यंग्य मत बोलो
71. शब्दों का ठेला
72. शाम-एक किसान
73. शुभकामनाएँ
74. सब कुछ कह लेने के बाद
75. समर्पण
76. सुरों के सहारे
77. सुर्ख़ हथेलियाँ
78. सूरज को नही डूबने दूंगा
79. हँसा ज़ोर से जब
80. हंजूरी
81. हरा और पीला
कथा-साहित्य :
1. पागल कुत्तों का मसीहा (लघु उपन्यास) – 1977
2. सोया हुआ जल (लघु उपन्यास) – 1977
3. उड़े हुए रंग – (उपन्यास) यह उपन्यास सूने चौखटे नाम से 1974 में प्रकाशित हुआ था।
4. कच्ची सड़क – 1978
5. अंधेरे पर अंधेरा – 1980
6. अनेक कहानियों का भारतीय तथा यूरोपीय भाषाओं में अनुवाद
सोवियत कथा संग्रह 1978 में सात महत्वपूर्ण कहानियों का रूसी अनुवाद।
नाटक :
1. बकरी – 1974 (इसका लगभग सभी भारतीय भाषाओं में अनुवाद तथा मंचन)
2. लड़ाई – 1979
3. अब गरीबी हटाओ – 1981
4. कल भात आएगा तथा हवालात – एकांकी नाटक एम.के.रैना के निर्देशन में प्रयोग द्वारा 1979 में मंचित
5. रूपमती बाज बहादुर तथा होरी धूम मचोरी मंचन 1976
यात्रा संस्मरण :
1. कुछ रंग कुछ गंध – 1971
बाल कविता :
1. बतूता का जूता – 1971
2. महंगू की टाई – 1974
3. अक्की-बक्की
4. ऊँट पर चूहा
5. किताबों में बिल्ली ने बच्चे दिए हैं
6. घोड़ा
7. नानी का गुलकंद
8. नेता और गदहा
9. पकौड़ी की कहानी
10. मच्छर और हाथी
11. मेले में लल्ला
बाल नाटक :- 1. भों-भों खों-खों – 1975 2. लाख की नाक – 1979
संपादन :
1. शमशेर (मलयज के साथ – 1971)
2. रूपांबरा – (सं. अज्ञेय जी – 1980 में सहायक संपादक सर्वेश्वर दयाल सक्सेना)
3. अंधेरों का हिसाब – 1981
4. नेपाली कविताएं – 1982
5. रक्तबीज – 1977
अन्य :
1. दिनमान साप्ताहिक में चरचे और चरखे नाम से चुटीली शैली का गद्य – 1969 से नियमित।
2. दिनमान तथा अन्य पत्र-पत्रिकाओं में साहित्य, नृत्य, रंगमंच, संस्कृति आदि के विभिन्न विषयों पर टिप्पणियां तथा समीक्षात्मक लेख।
3. सर्वेश्वर की संपूर्ण गद्य रचनाओं को चार खण्डों में किताबघर दिल्ली ने छापा है।
बकरी (नाटक) :
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने 'बकरी' नामक नाटक की रचना १९७४ में की। इसमें दो अंक तथा प्रत्येक अंक में 3 दृश्य हैं। इसमें भारतीय राजनेताओं के मुखौटों (गांधीवाद) का पर्दाफाश किया गया है। नाटक से पहले भूमिका दृश्य है। नाटक के प्रत्येक दृश्य के बाद नट गायन है। तथा अंतिम दृश्य में नट नटी के साथ साथ सबका गायन है। इसके प्रमुख पात्र हैं - दुर्जन, सत्यवीर , कर्मवीर , सिपाही, युवक, विपती, काका , चाचा , चाची , काकी, राम, भिशती।
इस नाटक की प्रथम प्रस्तुति जन नाट्य मंच द्वारा 13 जुलाई 1974 को त्रिवेणी कला संगम, नई दिल्ली में की गयी थी। अब तक इसका इन बोलियों में मंचन हुआ है : ब्रजभाषा,कुमायनी, गुजराती, कनन्ड़, उडिया, छत्तीसगढ़ी
भारत सरकार ने आपातकाल के समय इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पर मॉरिसस में भी प्रतिबंध लगा था ।