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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ये दिल कह रहा था

तुम्हें देखकर देखते रहते ये दिल कह रहा था,
दौड़कर तुम्हारे गले लग जाते ये दिल कह रहा था।
पर तुमने तो सारे रिश्ते नाते ही तोड़ दिए थे,
वरना हम वहीं रुक जाते ये दिल कह रहा था।

तुम फिर पहले जैसे बन जाओगे ये दिल कह रहा था,
फ़िक्र पहले सी मेरी तुम्हें फिर होगी ये दिल कह रहा था।
इस तरह हमसे दूर गए क्यों तुम अचानक,
एक दिन वजह उसकी ज़रूर बताओगे ये दिल कह रहा था।

पूछे आपसे नाराज़गी क्या है ये दिल कह रहा था,
अब आपकी चुप्पी तोड़ दे ये दिल कह रहा था।
पर डरते थे फिर से अपनी रुसवाई से,
वरना इस बार सारे गिले शिकवे मिटा देते ये दिल कह रहा था।

💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐


















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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

श्रेयसी said

दिल सच हीं कहता है। बहुत खूब 👌👌🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Ji didu raani Dil sach hi kahata hai or dekhiye na maine ye rachana kya likhi saari galatfehmiya hi dur ho gai....pata hai is kavita ki shuruaat ki chaar line maine kab likhi thi tab jab aap mujhase us din roopshree ke paas hone ki baat bata rahi thi or main auto main thi hospital ja rahi thi jab apka MSG aaya tab apase baat karne ke just baad unka ghar raste mein aa gaya to unka ghar dekh ye 4 lines likhi thi and fir hospital aa gaya to aage ka fir Ghar aakar likha

Updesh Kumar Shakyawar said

बहुत खूब...likha

रीना कुमारी प्रजापत replied

Aabhar aapka

कमलकांत घिरी said

बहुत ही सुंदर रचना ये दिल कह रहा है दीदी जी 😊🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanku very much

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