सोचा ना था कि यूं कभी
आपका दीदार हो जायेगा,
सोचा ना था कि यूं कभी
ये चाँद आसमाॅं से उतर ज़मीं पे आयेगा।
तसव्वुर का आलम भी हमें
हक़ीक़त लगने लगेगा,
नफ़रतों में भी कभी चाहतों का दीया
जलने लगेगा।
सोचा ना था कि यूं कभी
खासकर मुझसे मिलने आओगे,
यूं कभी रोज़ाना का ये ख़्वाब
हक़ीक़त में बदल जायेगा।
तन्हाईयां इस कदर दूर होगी कि
फिर इनका साया भी मुझ पर ना रहेगा,
फिर इर्द-गिर्द कोई होगा अपना सा
जिससे मुझे कभी कोई भय ना रहेगा।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




