हर किसी ज़ुबां पर यही सवाल होता है,
कि शादी कब कर रही हो?
पता नहीं इस शादी में रखा क्या है ?
जिसे देखो वो बस यही पूछता है।
कल ही हमारी कुछ दोस्तों से फोन पर बात हुई,
एक दोस्त कहती है
शादी हो गई है अब हम सभी की
एक बस अब तू ही बची है
तू भी कर ले शादी।
मैं कुछ ना बोली चुप हो ली
फिर वो बोली जब भी शादी की कहते हैं
तू चुप क्यों हो जाती है ?
मैं मुस्काई, फिर बोली
जो कर ली शादी तो हो जाएगी बर्बादी।
पर ना मानी वो अड़ गई इसी बात पर
बता ना क्या ख़याल है ?
मैं बोली शादी से हाल बेहाल है।
पर वो कहां मानने वाली थी,
फिर मैंने ही एक तरकीब लगाई
और कहा चल ना फिर कभी बात करते हैं
अभी यहां का मौसम बड़ा खराब है
बिजली कड़क रही है बादल गरज रहे हैं
और घनघोर घटा है छाई।
फिलहाल उससे छुटकारा मिल गया,
पर गुस्सा मुझे बहुत आया।
क्योंकि एक ही सवाल का
जवाब बार -बार देना मुझे पसंद नहीं,
और वो है कि मानते ही नहीं।
कहीं इन बार -बार के सवालों जवाबों से
ये मुझसे रुसवा ना हो जाए,
इसीलिए इनसे और इस जहां से
कटे - कटे से रहते हैं हम।
ये जानते नहीं हमारी फितरत को,
और बार -बार एक ही सवाल कर मजबूर
करते हैं मुझे कयामत ले आने को।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐✍️