दिल के बाजार में खरे जज्बाती नोटों की दिवाली।
फलीभूत जिसने भी मिलने की अभिलाषा पाली।।
सच्चे प्रेमी प्रेमिका वही जिनके मन पहले से मिले।
उनके लिए आज भी होती सौगात की रात काली।।
अगर इश्क के राहगीर ही भटकते भटकते मिले।
उनके लिए सूर्य की रोशनी छान रही पेड़ की डाली।।
कुछ लोगों का हकीकत से कोई वास्ता ही नही।
जान लो 'उपदेश' वासना से पीड़ित रहे ख्याली।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद