साथ देने वाले लोगो को बदलते रहे।
बदले हुए लोग यहाँ साथ छोड़ते रहे।।
रीति निराली जगत की उन्नति परस्त।
एहसान करने वाले यहाँ भटकते रहे।।
माँगने वालों की मजबूरी कभी देखो।
पा लेने के बाद हर रास्ते बदलते रहे।।
आस लगाई कभी रोशनी की जुगनू से।
रोशनी कहीँ न मिली 'उपदेश' रोते रहे।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद