आसमान के नीचे मिले
सितारे भी हंसने लगे
रात खूबसूरत हो गई
चाँदनी में हम चमकने लगे
बादलों का झुंड आया
चेहरे रंग बदलने लगे
हवा देखकर तिलमिलाई
टिक न पाए खिसकने लगे
खुदाई को मंजूर मिलन
ख्वाब साकार लगने लगे
रात ढलते ही सुबह हुई
'उपदेश' सिंदूरी लगने लगे
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद