महफिल से अच्छा मैने तनहाईयों को माना
तनहाईयों में ही खुद को ,है मैने पहचाना।
अब तो बन गया है ,मेरा भी एक अफसाना
सीख गई हूँ मैं भी, खुद पर अब इतराना।
महफिल का क्या है महफिल सिर्फ एक की नही
तनहाईयाँ तो अपनी हैं किसी की जागीर तो नहीं।
महफिल ने तो मुझको कर दिया था किनारे
तनहाईयों में ही पाए मैंने तो सहारे।
तनहाईयों ने ही जैसै तराशा है मुझको
पा ले एक मुकाम बताया है मुझको।
-राशिका

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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