क्या करुँ कि वो मुझसे न दूर है न पास है
निर्निमेष नज़र द्वारे पे पर मिलन की न आस है
शाम की सुहानी हवा घर में आई है महकी-महकी
शायद उनकी गलियों से है आई तभी लगा ख़ास है
क्यूंँ गुजरना पड़ता है ज़िंदगी में ऐसे रहगुज़र से
जहांँ किसी न किसी मोड़ पर सबके जीवन में काश है
वो कहते हैं सब भूल जाओ मगर ये आसांँ तो नहीं
दिल से कहांँ निकलता है बसा जो एहसास है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




