क्या कहें ?
ज़माने की अजब दास्ताँ
आज बच्चे ख़ुश रहने के लिए वजह ढूँढते हैं
बड़े ख़ुश रहने के लिए बच्चों का साथ ढूँढते हैं
भूल उनसे नहीं हमसे ही हो गयी
अहम् की आड़ में घर को बंगला बना दिया
एक आँगन कमरों में बँट गया
परिवार का हर सदस्य एकांत में पहुँच गया
क्या कहें?
आज हमारी राह दिखाए बच्चे परिवार छोड़ एकांत चाहने लगे
बड़े अपने ही परिवार में एकांत से लड़ते नज़र आने लगे
कहीं कोई भूल हमसे ही तो नहीं हो गयी
कि आज संस्कार संस्कारों से ही उलझने लगे??
वन्दना सूद
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