तेरी मुस्कान पर मुझको गुरूर।
दर्पण भी बता पाएगा तेरा नूर।।
यादें और बढ़ा देती मेरी प्यास।
मेरी बाते और तेरे में है सुरूर।।
तेरी खुशबू का राज अलबेला।
रात की हर बेला भी है मजबूर।।
तेरे अंदाज की नजाकत प्यारी।
आदत 'उपदेश' चश्म-ए-बद्दूर।।
रूठती जब कभी भौं चढ़ाकर।
जबाव भूल जाते सवाल हुजूर।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद