अजनबी जैसा हम से मिलता है।
दर्द आँखों से तब पिधलता है।॥
जान जाती है उस के जाने से ।
ख़्वाहिशों का भी दम निकलता है।
टूटता है यकीन खुद पर से ।
कोई मौसम सा जब बदलता है।।
कैसे पहुंचेगा एक मंजिल पर ।
रास्ते बारहा बदलता है ।।
कोशिशों पर यक़ीं करो अपनी ।
मुश्किलों का भी हल निकलता है ।।
----डाॅ फौज़िया नसीम शाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




