कविता : आपत्ति....
इंसान जन्म ले कर
नंगा ही आता है तो
मरने के बाद वो फिर
नंगा ही जाता है तो
जब तक जीता है इंसान
क्यों फिर कपड़ा लगाता है ?
मुझ को ये बात समझ
बिल्कुल नहीं आता है
नंगे आए हो जीवन भर
नंगा ही रह जाओ
अगर शर्म आए तो गर्व में ही
कपड़े लगा कर दिखाओ
दिखावा सिर्फ दिखावा है
वास्तविकता ही सब से बड़ी है
नंगे आए तो नंगे
रहने में क्या आपत्ति पड़ी है ?
नंगे आए तो नंगे
रहने में क्या आपत्ति पड़ी है.......