बरस रहीं हैं घटा।
छाई है क्या ख़ूब छटा।
लगता है प्रभु ने
खोल ली है जटा ।
आज़ प्रभु के श्रृंगार होंगें।
गले में शेष नाग जी
तो ललाट पे शेखर होंगें।
शीश पे मां गंगा जी
तो हाथों में महादेव के
त्रिशूल जी होंगें।
पूरे शरीर पर भस्म
रामाएंगें।
भांग धतूरे की धूनी रामाएंगे।
जो शोषित हैं वंचित हैं
बहिष्कृत हैं जिनके कोई नहीं
वो सब के सब अनाथ भूतनाथ के
साथ पृथ्वी पर नज़र आयेंगे।
मां पार्वती और लंबोदर जी के साथ
पूरे सावन भर प्रभु कैलाश से चलकर
हम सब के बीच आयेंगे।
हम सभी देशवासियों को
परम आशीष दीर्घायु सर्वशक्तिमान
का वरदान देकर जायेंगें।
हम सब भक्त पुरे सावनभर
देवों के देव महादेव को
भांग धतूरा दूध चढ़ाएंगें।
महादेव को खूब रिझायेंगें
झूम झूम सावन हम मनाएंगे
हो गई है अपनी तैयारी
कल प्रभू आयेंगे..
कल प्रभू आयेंगे...