दिया क्या जी तूने
जो तुझे कुछ मिला नहीं
है कुछ भी नही किसी का यहां
जो है यही का है सदा रहेगा यहां।
ये तेरा ये मेरा
बिन बात का बखेड़ा
जब ले थे कुछ भी नहीं
तो मिलेगा क्या
यहीं का कीचड़ है
कमल भी यहीं का
यह खिलेगा यहीं ढलेगा यहीं
रूप रंग हाव भाव
सब कर्मों का खेला है।
पाया वही जो रहता हरदम ज़गेला है।
सिर्फ़ दिन कटने के लिए
रिश्ते नातें
वरना हर कोई अकेला है।
सामाजिक न्याय ताने बाने
सबकुछ तो जीने के बहाने
कर्मयोगी ना भोगी बन
थक जायेगा भोग भोग के
ना तुम चीज़ों के भोगी बन
बनना है तो जोगी बन
खिला ले अपनी मन चितवन
पवित्र हृदय पवन मन
रुपया पैसा लोभ छोभ दया
ये सब मानवता के दुश्मन हैं।
आदमी को जानवर बनातें
ये रिश्ते नातें प्यार जहां के।
लेने का कोई अंत नहीं है
देने का बस मन बना ले।
शांति सौहार्द तरक्की विकास
का अब तू ध्यान कर ले
जो जिसे जब मिलना है
वह मिलना है।
जो जिसे जब मिलना है तो
मिलना है...