वो रास्ता, ये दुश्वारियां, छूटा हुआ मकाँ मेरा..
जाने क्यूँ सफ़र न रहा, कभी भी आसाँ मेरा..।
सोचा था अहबाब होंगे, हर मोड़ पर साथ मेरे..
कदम-कदम पर, इम्तिहाँ लेता रहा जहाँ मेरा..।
चलते चलते ठहर ही गया, इस मंज़र में फ़िर से..
आंसू बहाकर निकलूंगा, कौन है जाने यहां मेरा..।
अब तो मुझे नहीं आपसे, कोई भी गिला·शिकवा..
अब हाल ·ए·दिल देखता नहीं, जो है मेहरबाँ मेरा...
ज़मीं से कुछ कहता हूं तो, सुनता है आसमां भी..
चलो दिल ही में रख लेता हूं, जो भी है अरमाँ मेरा..।
पवन कुमार "क्षितिज"


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







