भरोसा करके जिन्दा हूँ,
आओगे तुम मनाने को।
जब भी पता चलेगा तुम्हे,
भड़भडाओगे करीब आने को।
फिर हदो से दूर जाने का,
इरादा छूट जायेगा।
नपा सिलसिला चालूँ होगा,
रातो को मनाने का।
कुछ लोग कह रहे थे,
उसकी नौकरी ही उसका ठिकाना।
जब याद आयेगी 'उपदेश',
उसको हक दे देगा जमाना।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद