सजी रानियां दुल्हन सी , मृत्यु को अमर बनाने
गुहिल वंश की आभा से , खिलजी के होश उड़ाने
मातृभूमि के जयकारे के , साथ किया उदघोष
बढ़ीं गर्व से आगे को , भरकर छत्राणी जोश
चलीं सिंहनी गाते गाते , जय जय मात भवानी
और धधकते अग्नि कुंड में , कूद पड़ी क्षत्राणि
किया समर्पित अग्निदेव को , कंचन रूप निराला
नतमस्तक धरती का कण कण , नतमस्तक अग्नि ज्वाला
इतिहास अमर कर माताएं , बलिदानी गाथा बना गईं
सोलह हजार चित्तौड़ की सतियां , अग्नि कुंड में समां गईं
उड़ी महकती भस्म कुंड से, चित्तौड़ी मिट्टी चमकाने
बलिदानों की पावन धरती को, राजस्थान बताने
साक्षी लोधी