हे दुनिया वालों एक अच्छा काम करो वेश्या को...
अरे वह तो एक वेश्या है बोल न बदनाम करो
उसकी भी नाम और पहचान है
वह भी तो हमारी तरह इंसान है
कोई विकल्प न हो कर बाध्यता और जरूरी हो
एक वेश्या बनना हो सकता है उसकी मजबूरी हो
देखो उसे उसका कितना अच्छा रूप रंग है
वह भी तो हमारी समाज की अंग है
मगर समाज का ही आदमी रात को उसके पास जाता
रात भर रंगरलियां उसीके साथ मनाता
फिर सुबह उठ कर उसकी सारी पोल खोलता
आदमी खुद पवित्र बन कर उसे एक वेश्या बोलता
आदमी खुद पवित्र बन कर उसे एक वेश्या बोलता.......
हे समाज के रख वालों ये कहां का न्याय है ?
सरा सर ये तो उसके प्रति घोर अन्याय है
सरा सर ये तो उसके प्रति घोर अन्याय है.......

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




