हरदम रहती कहाँ बहारें गुल को याद नहीं शायद
बुलबुल भी लेती है आहें गुल को याद नहीं शायद
रंग झूठे हैं खुशबू झूठी ये नकली शान गुलशन में
तितली की हैं क्या चाहें गुल को याद नहीं शायद
रहे बागबां खुद दीवाना कलियों की है खैर कहाँ
बहकी उल्फत की राहें गुल को याद नहीं शायद
टूटा उल्फत का सपना है दिल का शीशा चूरचूर
कैसे नगमा हम ये गाएं गुल को याद नहीं शायद
दास हवाएं सहमी सहमी खुशबू डरी डरी सी है
रूठी खुद हैरान घटाएं गुल को याद नहीं शायद II