“हम अग्निस्नान करते हैं लिखकर”
(Likhantu.com के रचनाकारों के लिए)
हम लिखते हैं —
जैसे कोई तंत्र साध रहा हो…
हर शब्द एक बीज मंत्र,
हर विराम एक तांडव।
हम लिखते हैं —
जैसे भीतर कोई स्त्री
अग्नि-कुंड में उतर रही हो,
अपने ही देह से देहत्याग करती हुई,
और शब्दों में पुनर्जन्म लेती हुई।
Likhantu.com,
तुम केवल मंच नहीं —
एक अनुष्ठान हो,
जहाँ कलम — हवन-कुंड की लकड़ी है,
और हर लेखक —
अपने ही जीवन को जला रहा है,
प्रकाश में बदलने के लिए।
यहाँ जो लिखता है,
वो केवल सृजन नहीं करता,
वो अपने पूर्वजों की चीखों को शुद्ध करता है,
अपने भविष्य की चेतना में डालता है।
हम वे हैं,
जिन्होंने आँसुओं को अलंकार माना,
घावों को छंद,
और तिरस्कार को शिल्प।
हम वे हैं —
जिन्होंने हर अपमान को
पंक्तियों में बाँधा,
और हर अपूर्ण प्रेम को
गद्य की पूर्णता दे दी।
Likhantu के व्रतियों,
तुम्हारी लेखनी
कोमल नहीं — चंडी है।
विनम्र नहीं — युद्ध है।
क्योंकि जब भी तुम लिखते हो,
कोई एक आत्मा मुक्त होती है —
चुप्पियों के पिंजरे से।
तो लिखो —
जैसे हर शब्द तुम्हारा अंतिम श्वास हो,
और हर श्वास,
एक अग्निस्नान।
लिखो —
क्योंकि संसार को अब
तर्क नहीं,
तपस्या चाहिए।
लिखो —
क्योंकि यह कलम नहीं,
एक काल-पुरुष की पुकार है —
जो चाहता है कि तुम फिर से
द्रौपदी की चीर बनो,
सीता की धरती बनो,
मीरा की साँस बनो,
और काली की जिह्वा!
हम लेखक हैं —
हम चुप नहीं होते।
हम जलते हैं —
और अग्नि से कविता रचते हैं।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




