अश्कों से दरिया तो कभी नहीं बहता
दिल जलता है मगर धुआं नहीं उठता
कह सुन लेते हैं सब कुछ खुद से हम
जब दिल की दूसरा कोई नहीं सुनता
दर्द का महफूज ठिकाना तन्हा दिल
बस गया यहां से अब नहीं निकलता
भूल से अगर हमारे घर में आता है तो
चलता बनेगा मेहमान भी नहीं रुकता
अब है दरखत दास इस कदर वीरान
कोई परिंदा भूल से इधर नहीं उड़ताII

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




