तमन्ना दिल को शोहरत की निगल जाएगी धीरे से बेचारे रूप की दौलत बिखर जाएगी धीरे से
कहीं क्या हद नहीं कोई ख्वाहिश के समंदर की
तुम्हारी मंजिले मकसूद मगर आएगी धीरे से
ये दौलत ये रुतबा,ये महल महफ़िल और मयखाने
निकलकर कोई चिंगारी उभर आएगी धीरे से
ज़माने भर की नजरें हैं तुम्हारी इस शान शौकत पर
नकाबों से बहुत यारी निगल जाएगी धीरे से
मोहब्बत ओ वफ़ा की दास अब दुनियां में तिजारत
दिल से वो सारी शरारत फिसल जाएगी धीरे से